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गाँवों मे पंचायती जमीन के लुटेरों को ‘मनोहर तोहफा’ , अब अवैध रुप से कब्जाई पंचायती जमीन के मालिक बनेंगे कब्जाधारक

  • अवैध कब्जाधारकों को ससम्मान कब्जाई जमीन का मालिक बनाएगी सरकार लेकिन देना पड़ सकता है विकास शुल्क 
  • अवैध कब्जाधारकों के हित में अगले डेढ़ माह में तैयार होगी नई नीति 
  • हाईकोर्ट में 16 मार्च को होनी है अगली सुनवाई

संदीप कम्बोज। विलेज ईरा 

चंडीगढ़/हिसार। हरियाणा के गाँवों में पंचायती जमीन कब्जाने वाले जमीन के लुटेरों यानि अवैध कब्जाधारकों के लिए खुशखबरी है। (Illegal-occupiers-will-now-become-the-owners-of-occupied-Panchayati-land-in-Haryana) मनोहर सरकार अब अवैध कब्जधारियों के हितों का ख्याल रखते हुए उन्हें ससम्मान कानूनन अवैध कब्जों का मालिक बनाने की तैयारी में है। हालांकि जोहड़ों व गौचर जमीन कब्जाने वालों को इसमें कोई रियायत नहीं दी जाएगी। मनोहर सरकार के इस फैसले से पंचायती जमीन कब्जाने वाले अवैध कब्जाधारकों में खुशी का माहौल है। अब कोई उन्हें गलत निगाह से नहीं देख सकेगा और न ही कोई पंचायती जमीन कब्जाने का किसी तरह का आरोप लगा सकेगा। सभी अवैध कब्जाधारक मनोहर सरकार की जय-जयकार कर रहे हैं। हर कब्जाधारक की जुबां पर रह-रहकर एक ही बात आ रही है कि भई! सरकार हो तो ऐसी। जो कब्जा की गई पंचायती जमीन छुड़वाने की बजाए उन्हें मालिक बना दे। वहीं मनोहर सरकार का इस फैसले के पीछे तर्क है कि सरकार पंचायती जमीन कब्जाने से संबंधित फालतू के मुकदमेबाजी के झंझट में नहीं पड़ना चाहती है। सरकार अब अवैध कब्जाधारकों को वाजिब ढंग से काबिज करने के लिए नीति बना रही है जिसे अगले डेढ़ माह में तैयार कर लिया जाएगा। यह जानकारी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दी।इस मामले में अगली सुनवाई 16 मार्च को होनी है।

पुराने सब माफ, नए कब्जे किए तो बख्शेंगे नहीं 

बलदेव राज महाजन ने कोर्ट में कहा कि पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे व उन पर कई सालों से बने निर्माण के कारण सरकार अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने के लिए नई नीति पर काम कर रही है। हरियाणा में ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों को सरकार द्वारा ऐसी भूमि पर कब्जा जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन भविष्य में यदि नए कब्जे होंगे तो उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।

विकास शुल्क भी लगाने की तैयारी 

महाधिवक्ता ने कोर्ट में संभावना जताई कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अगले छह सप्ताह में ऐसी नीति को अंतिम रूप दे सकती है। राज्य में बड़ी संख्या में अतिक्रमण, अनाधिकृत/अवैध कब्जे हो रखे हैं और वहां पर पुराने ढांचे मौजूद हैं। ऐसे लोग प्रभावित न हों, इसलिए सरकार द्वारा पंचायत की भूमि पर कब्जा जारी रखने की अनुमति देने के लिए एक नीति तैयार की जा रही है, क्योंकि इनको बेदखल करने व हटाने के लिए अनावश्यक मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिलता है। सरकार इन लोगों को मालिक बनाने के लिए कुछ विकास शुल्क भी लगा सकती है। 

हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने हटवाए हजारों अवैध कब्जे 

हाई कोर्ट में दायर कई याचिकाओं में सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें सरकार ने उनको पंचायती जमीन से कब्जे को खाली करने का आदेश दिया था। इन याचिकाओं में पीड़ित पक्ष का कहना था कि वह इस जमीन पर कई दशक से काबिज हैं और उनके मकान बने हुए हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटाने की मांग संबंधी एक याचिका पर हलफनामा देकर कोर्ट को बताया था कि एक जनवरी 2019 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से कब्जे हटाने के लिए 5903 मामले आए, जिनमें से 5064 का निपटारा कर दिया गया है। 

पंचायती जमीन कब्जाने में प्रदेशभर में नंबर वन पर हिसार के गाँव

हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने हाईकोर्ट में बताया है कि 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से हटाने के लिए कुल 11082 मामले लंबित हैं। कोर्ट को बताया गया कि 1305 मामलों में क्रियान्वयन अर्जी दायर की गई, जिसमें से 867 अर्जी का निपटारा कर दिया गया। राज्य में अभी 3622 क्रियान्वयन अर्जी विचाराधीन हैं। पंचायती जमीन के  सबसे ज्यादा 2457 मामले हिसार व सबसे कम 45 मामले रोहतक में विचाराधीन हैं।


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