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मनोहर लाल कब बनेंगे ‘बुलडोजर बाबा’, हरियाणा में गुंडे-माफियाओं-बाहुबलियों से कब छुड़वाई जाएगी पंचायती जमीन ?

  • क्या हरियाणा में भी गुंडे-माफियाओं व पंचायती जमीन कब्जाधारकों पर चलेगा ‘मनोहर बुलडोजर’ ? 
  • यूपी वाले ‘बुलडोजर बाबा’ की तर्ज पर माफियाओं व अवैध कब्जाधारकों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती खट्टर सरकार
  • सरकारी/पंचायती जमीन कब्जाने वाले माफियाओं व अवैध कब्जाधारकों के आगे बेबस क्यों है हरियाणा सरकार ?
  • पंचायती जमीन कब्जाधारकों से अवैध कब्जे छुड़वाने की बजाए क्यों कब्जों का मालिक बनाने की तैयारी में जुटी है सरकार 


                                                       संदीप कम्बोज 

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा चर्चित अगर कुछ रहा तो वह है यूपी वाले ‘बुलडोजर बाबा’।  (When-will-Manohar-Lal-khattar-become-Bulldozer-Baba) यह ‘बुलडोजर बाबा’ का ही जलवा है जो भाजपा उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता की दहलीज तक पहुंचने में कामयाब रही है। इस विधाननसभा चुनाव में बुलडोजर उत्तर प्रदेश में सख्त कानून व्यवस्था लागू करने और माफियाओं पर कार्रवाई करने के लिए सीएम योगी के सुशासन का प्रतीक बन गया क्योंकि 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से उत्तर प्रदेश में 67 हजार एकड़ से अधिक सरकारी,पंचायती जमीन को बुलडोजर की मदद से गुंडों और माफियाओं के हाथों से मुक्त कराया गया है। बस उत्तर प्रदेश के लोगों को ‘बुलडोजर बाबा’ का यही अंदाज पसंद आया और उन्हें दोबारा से सत्ता में ला खड़ा किया। अब बात अगर हरियाणा की करें तो यहाँ भी हजारों माफियाओं ने पंचायती/सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए हुए हैं। लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के बार-बार आदेशों के बावजूद भी हरियाणा सरकार उन अवैध कब्जों को छुड़वा नहीं पाई है। पंचायती जमीनों पर अवैध कब्जे के संबंध में हाईकोर्ट हरियाणा सरकार को कई बार फटकार लगाने के साथ-साथ सरकारी जमीनों को कब्जामुक्त करवाने के लिए कई बार समय दे चुकी हैै। लेकिन बावजूद इसके सरकार पूरी तरह से पंचायती जमीन को कब्जामुक्त नहीं करवा पाई है। अब हरियाणा सरकार ने इन पंचायती जमीनों पर अवैध कब्जा किए माफियाओं को कब्जे की जमीन का मालिक बनाने का फैसला किया है जिस संबंध में सरकार द्वारा कमेटी बनाई जानी है। यहाँ सवाल सरकार की कार्यप्रणाली पर उठता है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। वहां किस तरह से जमीन माफियाओं को चुन-चुन कर ठिकाने लगाया जा रहा है। लेकिन पता नहीं हरियाणा सरकार माफियाओं द्वारा कब्जाई गई सरकारी/पंचायती जमीन को कब्जामुक्त करने की बजाए उन्हें जमीन का मालिक बनाने पर क्यों तुली है। दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार और दोनों ही जगह अलग-अलग नियम। ऐसा भला कैसे हो सकता है। हरियाणा सरकार को भी चाहिए कि पंचायती जमीन कब्जाने वाले माफियाओं को रियायत देने की बजाए यूपी के ‘बुलडोजर बाबा’ वाला फार्मुला अपनाते हुए उनके साथ सख्ती से पेश आए ताकि भविष्य में कोई नया जमीन माफिया पैदा न हो। फैसला थोड़ा सख्त जरुर है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस करिश्मे को कर दिखाया है तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इसे क्यों नहीं कर सकते? राजनीतिक स्वार्थ से पीछे हट मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यह सख्त फैसला लेकर जनता के बीच साफ संदेश देना होगा कि अब हरियाणा में भी किसी भू-माफिया को पनपने नहीं दिया जाएगा। जिन भी माफियाओं ने सरकारी पंचायती/जमीनों पर अवैध कब्जे किए हैं, उनके खिलाफ यूपी वाले बाबा का बुलडोजर ही अंतिम विकल्प है। गाँवों के विकास की मुख्य धुरी पंचायती जमीन ही है लेकिन हरियाणा में हजारों एकड़ पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे किए गए हैं। कुछ कब्जे सरकार द्वारा छुड़वाए भी गए हैं लेकिन अभी भी हजारों एकड़ पंचायती/सरकारी जमीन पर भू-माफिया काबिज हैं। अब गाँवों में विकास के लिए कोई प्रोजक्ट आता है तो अधिकतर मामलों में महज इसलिए दूसरे गाँव को दे दिया जाता है क्योंकि संबंधित गाँव की पंचायती जमीन पर माफियाओं ने अवैध कब्जा किया हुआ है। हरियाणा सरकार को भी चाहिए कि गाँवों की बेशकीमती पंचायती जमीनों को माफियाओं के चंगुल से जल्द से जल्द छुड़वाकर एक  मिसाल कायम करे न कि उन्हें अवैध कब्जों का मालिक बनाकर गलत परंपरा को बढ़ावा दिया जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन है कि वे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने के लिए बुलडोजर चलाए जाने का स्पेशल प्रशिक्षण प्रदान करे ताकि हरियाणा की पंचायती जमीन भी माफियाओं के चंगुल से आजाद हो तथा हमारा प्रदेश भी विकास के नए आयाम स्थापित करे। 

हर तरफ सिर्फ और सिर्फ बुलडोजर बाबा की चर्चा 

वैसे कुछ भी हो इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ने साबित कर दिया कि बाबा के बुलडोजर के सामने कोई भी विपक्षी दल टिक नहीं सका है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बुलडोजर इतना अहम किरदार बन जाएगा। जैसे-जैसे चुनावी रंग चढ़ता गया बुलडोजर भी अपना जलवा बिखरने लगा। दिलचस्प बात यह है कि योगी को बुलडोजर बाबा का उपनाम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ही दिया था। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के प्रमुख के रूप में आदित्यनाथ को पहले से ही 'बाबा' कहा जाता है। भाजपा ने अखिलेश यादव के इस तंज को हाथों-हाथ लिया और इसे योगी आदित्यनाथ के सख्त कानून व्यवस्था बनाए रखने के सुशासन से जोड़ दिया। पार्टी ने इस जुमले को खूब भुनाया और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा कहलाने लगे। देखते ही देखते भाजपा की हर रैली में यह नारा गूंजने लगा 'यूपी की मजबूरी है, बुलडोजर जरूरी है'। गुरुवार को जब चुनाव नतीजे आए और भाजपा के जीत की तस्वीर साफ होने लगी तो ट्वीटर पर ‘बुलडोजर इज बैक’ ट्रेंड करने लगा। पूरे चुनाव में बुलडोजर की चर्चा इतनी तेज हुई कि चुनावी सभाओं में बुलडोजरों की प्रदर्शनी लगने लगी। महराजगंज जिले के निचलौल में योगी की जनसभा में गेरुआ रंग में सजा एक बुलडोजर भी लाया गया, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खूब खींचा। योगी आदित्यनाथ ने भी बुलडोजर को देखते ही मौके का फायदा उठाया और कहने लगे  ‘बुलडोजर हाइवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। साथ ही माफियाओं से अवैध कब्जे को भी मुक्त कराता है। 

जानें हरियाणा में कितनी पंचायती जमीन पर कब्जे, पंचायती जमीन कब्जाने में नंबर वन पर हिसार के गाँव

हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटाने की मांग संबंधी एक याचिका पर हलफनामा देकर कोर्ट को बताया था कि एक जनवरी 2019 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से कब्जे हटाने के लिए 5903 मामले आए, जिनमें से 5064 का निपटारा कर दिया गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने हाईकोर्ट में बताया है कि 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से हटाने के लिए कुल 11082 मामले लंबित हैं। कोर्ट को बताया गया कि 1305 मामलों में क्रियान्वयन अर्जी दायर की गई, जिसमें से 867 अर्जी का निपटारा कर दिया गया। राज्य में अभी 3622 क्रियान्वयन अर्जी विचाराधीन हैं। पंचायती जमीन के सबसे ज्यादा 2457 मामले हिसार व सबसे कम 45 मामले रोहतक में विचाराधीन हैं। 

                                                                                                         लेखक विलेज ईरा के मुख्य संपादक हैं 

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