मनोहर लाल कब बनेंगे ‘बुलडोजर बाबा’, हरियाणा में गुंडे-माफियाओं-बाहुबलियों से कब छुड़वाई जाएगी पंचायती जमीन ?
- क्या हरियाणा में भी गुंडे-माफियाओं व पंचायती जमीन कब्जाधारकों पर चलेगा ‘मनोहर बुलडोजर’ ?
- यूपी वाले ‘बुलडोजर बाबा’ की तर्ज पर माफियाओं व अवैध कब्जाधारकों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती खट्टर सरकार
- सरकारी/पंचायती जमीन कब्जाने वाले माफियाओं व अवैध कब्जाधारकों के आगे बेबस क्यों है हरियाणा सरकार ?
- पंचायती जमीन कब्जाधारकों से अवैध कब्जे छुड़वाने की बजाए क्यों कब्जों का मालिक बनाने की तैयारी में जुटी है सरकार
हर तरफ सिर्फ और सिर्फ बुलडोजर बाबा की चर्चा
वैसे कुछ भी हो इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ने साबित कर दिया कि बाबा के बुलडोजर के सामने कोई भी विपक्षी दल टिक नहीं सका है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बुलडोजर इतना अहम किरदार बन जाएगा। जैसे-जैसे चुनावी रंग चढ़ता गया बुलडोजर भी अपना जलवा बिखरने लगा। दिलचस्प बात यह है कि योगी को बुलडोजर बाबा का उपनाम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ही दिया था। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के प्रमुख के रूप में आदित्यनाथ को पहले से ही 'बाबा' कहा जाता है। भाजपा ने अखिलेश यादव के इस तंज को हाथों-हाथ लिया और इसे योगी आदित्यनाथ के सख्त कानून व्यवस्था बनाए रखने के सुशासन से जोड़ दिया। पार्टी ने इस जुमले को खूब भुनाया और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा कहलाने लगे। देखते ही देखते भाजपा की हर रैली में यह नारा गूंजने लगा 'यूपी की मजबूरी है, बुलडोजर जरूरी है'। गुरुवार को जब चुनाव नतीजे आए और भाजपा के जीत की तस्वीर साफ होने लगी तो ट्वीटर पर ‘बुलडोजर इज बैक’ ट्रेंड करने लगा। पूरे चुनाव में बुलडोजर की चर्चा इतनी तेज हुई कि चुनावी सभाओं में बुलडोजरों की प्रदर्शनी लगने लगी। महराजगंज जिले के निचलौल में योगी की जनसभा में गेरुआ रंग में सजा एक बुलडोजर भी लाया गया, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खूब खींचा। योगी आदित्यनाथ ने भी बुलडोजर को देखते ही मौके का फायदा उठाया और कहने लगे ‘बुलडोजर हाइवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। साथ ही माफियाओं से अवैध कब्जे को भी मुक्त कराता है।
जानें हरियाणा में कितनी पंचायती जमीन पर कब्जे, पंचायती जमीन कब्जाने में नंबर वन पर हिसार के गाँव
हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटाने की मांग संबंधी एक याचिका पर हलफनामा देकर कोर्ट को बताया था कि एक जनवरी 2019 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से कब्जे हटाने के लिए 5903 मामले आए, जिनमें से 5064 का निपटारा कर दिया गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने हाईकोर्ट में बताया है कि 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से हटाने के लिए कुल 11082 मामले लंबित हैं। कोर्ट को बताया गया कि 1305 मामलों में क्रियान्वयन अर्जी दायर की गई, जिसमें से 867 अर्जी का निपटारा कर दिया गया। राज्य में अभी 3622 क्रियान्वयन अर्जी विचाराधीन हैं। पंचायती जमीन के सबसे ज्यादा 2457 मामले हिसार व सबसे कम 45 मामले रोहतक में विचाराधीन हैं।
लेखक विलेज ईरा के मुख्य संपादक हैं
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