उठो, जागो हरियाणा पुलिस ! अब तोड़ डालो खनन माफियाओं और उनके आका सफेदपोशों की कमर
नदियों, पहाड़ों में अवैध खनन करने वाले माफिया बदमाशों से भ्रष्ट राजनेताओं की संलिप्तता बता रहे हैं संदीप कम्बोज
नदियों, पहाड़ों में अवैध खनन माफिया हो या फिर किसी भी अन्य काले कारोबार से जुड़े सौदागर।(Village-era-special-editorial-on-black-business-of-illegal-mining-in-Haryana) दावे से कहा जा सकता है कि सभी तरह के माफियातंत्र को संरक्षण हमारी भ्रष्ट राजनीति और चंद भ्रष्ट सफेदपोश राजनेता ही देते आ रहे हैं। केवल हरियाणा ही नहीं अपितु देशभर में चाहे किसी भी इलाके पर नजर दौड़ा ली जाए तो वहाँ के स्थानीय माफियाओं को अगर किसी का संरक्षण है तो वे हैं वहाँ के स्थानीय नेता। हरियाणा की भी ठीक यही कहानी है। नूंह के तावड़ू इलाके में खनन माफियाओं द्वारा जिस तरह से हरियाणा पुलिस के डीएसपी को दिन दहाड़े डंपर से कुचलकर मौत के घाट उतारा गया है, उससे यह साफ हो गया है कि इन माफियाओं के तार किसी बड़े सफेदपोशों या विभाग के वरिष्ठ अफसरों से जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि माइनिंग का खेल करोड़ों-अरबों का है जिनमें विभाग के छोटे-बड़े अधिकारियों से लेकर सफेदपोश नेताओं की भी हिस्सेदारी होती है। इसी राजनीतिक संरक्षण की बदौलत ही ये माफिया खुलकर गुंडागर्दी करते हुए सरेआम नदियों-पहाड़ों से अवैध खनन करते हैं। यही इन माफियाओं की कानून को खुली चुनौती है कि दम है तो रोककर दिखाओ, ये तो ऐसे ही चलेगा। वैसे तो पूरे हरियाणा में नदियों, पहाड़ों व वन क्षेत्र की जमीन पर अवैध खनन सरे आम चल रहा है लेकिन नूंह जिले की बात करें तो यहां खेड़लीकलां, झिमरावट, घागस-कंसाली, फिरोजपुर झिरका, शेखपुर के अलावा कई स्थानों पर अवैध खनन और पेड़ों की लगातार कटाई चरम पर है। क्षेत्र के जान मोहम्मद, मुबारिक, सुंदर ने बताया कि इस प्रकार की शिकायत विभाग को कई बार दी जा चुकी है, लेकिन अरावली में वन विभाग द्वारा लगाए गए चौकीदार लोगों से ही अवैध खनन कराते हैं। साथ में पेड़ों को काटकर आरा मशीन मालिकों को बेच देते हैं ऐसे में चौकीदार रकम कमा रहे हैं। अरावली में हर साल वन विभाग लाखों पौधे पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लगाता है, लेकिन यहां पर इन पौधों को पैदा होने से पहले ही नष्ट कर दिया जाता है। जिससे हर साल वन विभाग को घाटा हो जाता है। रात में पत्थरों को तोड़ते हैं उसके बाद दिन में पत्थरों को ट्रैक्टरों में भरकर गांवों में ले जाते हैं। अवैध खनन करने वालों पर हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। जब भी कोई शिकायत वन विभाग की हमारे पास आती है, उस पर तुरंत संज्ञान में लेकर कार्रवाई करते हैं। वास्वी त्यागी, कंजरवेटर वन विभाग गुरुग्राम जिले में कुल 18 हजार हेक्टेयर रकबा वन विभाग का है। इसमें समय-समय पर पौधे लगाए जाते हैं, जहां खनन हो रहा है।
हरियाणा में कानून-सिस्टम, पुलिस व प्रशासन को खुली चुनौती दे रहा माफियातंत्र
अवैध खनन करने वाले माफियाओं का यह हमारे कानून, सिस्टम व पुलिस-प्रशासन को सीधा-सीधा चैलेंज नहीं तो और क्या है। इन माफियाओं द्वारा कानून व हमारी पुलिस को खुली चुनौती के पीछे सीधा-सीधा नेताओं का संरक्षण है। प्रदेश में एक भी खनन माफिया ऐसा नहीं मिलेगा जिसे किसी न किसी राजनीतिक दल या उसके वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों, विधायकों से संरक्षण न मिला हो, बशर्ते जांच इमानदारी से हो तो। हरियाणा पुलिस को चाहिए कि अब चीर निद्रा से जागना होगा। हर जिले में अवैध खनन में संलिप्त माफियाओं की सूची तैयार करें जो नदियों, पहाड़ों या वन क्षेत्र की जमीन पर अवैध खनन का खेल सरेआम खेलते आ रहे हैं। इस जांच में यह भी पता लगाया जाए कि इन माफियाओं को संरक्षण कहाँ से मिल रहा है? क्या इनके अवैध खनन के इस धंधे में कोई नेता, उनके परिजन, रिश्तेदार या चेले-चपाटे भी हिस्सेदार हैं? पूरे प्रदेश में यह सर्वे करने के उपरांत उसे सार्वजनिक करे और फिर चुन-चुन कर सभी माफियाओं और उनके आका नेताओं का हिसाब किया जाए जो अवैध खनन करते व करवाते आ रहे हैं। लेकिन अफसोस हरियाणा के अलग-अलग जिलो में नदियों व पहाड़ों से अवैध खनन के हजारों मामले दर्ज हैं लेकिन कार्रवाई सौ में से महज उन 2-4 मामलों में ही हो पाती है जिनका कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं है। यदि हरियाणा पुलिस ऐसे माफियाओं के खिलाफ शुरु से ही कड़ा रुख अख्त्यिार करती तो आज सुरेंद्र बिश्नोई जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर हमारे बीच होते।
हरियाणा में कौन बढ़ा रहा गुंडाराज, चुन-चुन कर हो माफियाओं का हिसाब
नूंह में अवैध खनन की सूचना पर छापामारी करने गए डीएसपी सुरेंद्र कुमार को डंपर से कुचलकर मौत के घाट उतारने वाले खनन माफियाओं के तार आखिर किन सफेदपोशों से जुड़े हैं। आखिर इतना दुस्साहस इन माफियाओं में किनके दम पर आया, इसकी पड़ताल किया जाना बहुत जरुरी है। तावड़ू के पहाड़ों में यह अवैध खनन कब से तथा किनके रहम-ओ-कर्म से चल रहा था ? क्या हरियाणा के अन्य शहरों में भी अवैध खनन जारी है? यदि हाँ तो क्या उन खनन माफियाओं को भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है?ऐसे माफियाओं को शह कहाँ से मिल रही है। हरियाणा पुलिस को चाहिए कि तावड़ू समेत हरियाणा के अन्य गाँव-शहरों में भी अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं की कुंडली खंगालकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाएं और साथ में उनके आका विभाग के बड़े अफसरों तथा नेताओं को भी बेनकाब कर जेल की सलाखों में पहुंचाएं जो ऐसे माफियातंत्र को शह देकर हरियाणा में गुंडाराज को बढ़ावा दे रहे हैं। जब तक हरियाणा पुलिस इन माफियाओं के साथ-साथ इनके आका सफेदपोशों की कमर नहीं तोड़ेगी तब तक ये गुंडाराज ऐसे ही चलता रहेगा, ऐसे ही नेताओं के रहमो-कर्म से नदियों, पहाड़ों व वन क्षेत्र में अवैध खनन चलता रहेगा। हरियाणा पुलिस को चाहिए कि अब बिना किसी राजनीतिक दबाव में आए ऐसे माफियाओं का चुन-चुन कर हिसाब करे।
लेखक विलेज ईरा के संपादक हैं
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