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सावधान सरकार! अब नुकसान का मुआवजा लेने को फर्जी आवेदनों की बाढ़

  • गाँवों में सालों पुरानी दरारों को दिखाकर गलत तरीके से मुआवजा लेने के जुगाड़ में फर्जी पीड़ित 
  • ग्रामीण बोले, इमानदारी से जाँच के बाद असल बाढ़ पीड़ितों को ही मिले मुआवजा 
  • ग्रामीण बोले, जिला प्रशासन जोहड़ों किनारे डूब क्षेत्रों व खेतों में ईमानदारी से करवाए सर्वे 


संदीप कम्बोज। विलेज ईरा 

हिसार। एक बाढ़ से निपटे नहीं कि अब दूसरी बाढ़ ने गाँवों को अपनी चपेट में ले लिया है। ये बाढ़ है फर्जी आवेदनों की। (Beware-Government-Now-flood-of-fake-applications-to-get-compensation-for-loss) बाढ़ के पानी से गाँव के खेतों व घरों में हुए नुकसान का मुआवजा लेने के लिए गाँवों में इस कदर होड़ मची है कि असली बाढ़ पीड़ित पीछे छूटते नजर आ रहे हैं जबकि फर्जी पीड़ित सबसे आगे। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गाँवों में इन दिनों जो बाढ़ से नुकसान के लिए मुआवजे हेतू आवेदन मांगे गए हैं, उसके लिए आवेदन करने वाले आधे से ज्यादा फर्जी हैं। हर गाँव में लगभग यही कहानी है। जिन लोगों का वास्तव में नुकसान हुआ है, वे लोग आवेदन करने के लिए लगी लाईनों में सबसे पीछे नजर आते हैं जबकि फर्जी मुआवजा लेने वाले सबसे आगे। कई गाँवों में देखने को मिला है कि जो लोग गाँव के बिल्कुल मध्य में रह रहे हैं, जहाँ तक बाढ़ का पानी एक बूंद नहीं पहुंचा, वे लोग भी अपने घरों में आई सालों पुरानी दरारों का हवाला देकर उसे बाढ़ से जोड़कर मुआवजे के लिए आवेदन कर रहे हैं। ऐसे फर्जी लोगों की वजह से जो वास्तव में असली बाढ़ पीड़ित हैं, वे मुआवजे से वंचित रह सकते हैं। क्योंकि एक-एक गाँव से 2000 से 3000 लोग आवेदन कर देंगे और नुकसान हुआ 400-500 का तो ऐसे में क्या होगा, आप सभी जानते हैं। होना वही है, जिनके नेताओं व अफसरों से संबंध होंगे तथा गाँवों के जो चालबाज लोग हर समय गरीबों का हक डकारने की फिराक में रहते हैं, वे अपने चहेते सभी फर्जी लोगों को मुआवजा दिलवा जाएंगे। और जो असल बाढ़ पीड़ित हैं, वे हाथ मलते नजर आएंगे। क्योंकि जब भी कोई आपदा आती है, इस तरह के फर्जी लोग सक्रिय हो जाते हैं तथा वे पंचायतियों, नेताओंं व अफसरों से सांठ-गांठ कर खुद भी तथा अपने परीचितों, रिश्तेदारों, चेले-चापलूसों के फर्जी फार्म भरवाकर असल पीड़ितों के हक पर डाका मारते हैं। गलत लाभ लेने वालों में करीब 80 फीसद लोग होते हैं। ऐसी आपदाओं के समय किसी भी गाँव की कुंडली उठाकर देख लिजिए। हर जगह यही कहानी मिलेगी। अफसरों व नेताओंं से 50-50 का सौदा कर लिया जाता है। अब तक ऐसे सैकड़ों मामले पकड़ में भी आ चुके हैं बावजूद इसके फर्जीवाड़ा करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। यह सारा खेल नेताओं के इशारे पर अफसरों की मिलीभगत से चलता है। गाँव लोहारी राघो में वर्ष 1995 में आई बाढ़ के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ था। अब फिर यहाँ वही इतिहास दोहराने की तैयारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 1995 में आई बाढ़ के समय कई ऐसे लोगों ने फर्जी लाभ लिए थे जिनका नुकसान बिल्कुल भी नहीं हुआ था। इसके अलावा कई लोग अपने राजनीतिक रसूख के दम पर दोगुना-चोगुना लाभ ले गए। यानि सरकार ने खेतों में बोरिंग व ट्यूबवेल कुएं की खुदाई के लिए मुआवजे का ऐलान  किया था। सूत्र बताते हैं कि उस समय भी कई गाँवों में ऐसे ही लूट मची थी। कई ऐसे लोग थे जिन्होंने एक ही खेत में कई-कई ट्यूबवेल व बोरिंग का मुआवजा ले लिया था।  

मिली जानकारी के मुताबिक अब फिर वही 1995 वाला इतिहास दोहाराया जा रहा है। आरोप हैं गाँव के मौजिज लोगों द्वारा दर्जनों फर्जी फार्म भरवाए गए हैं। यह सरासर उन गरीब यानि जो असल बाढ़ पीड़ित हैं, उनके हक पर डाका मारने की तैयारी है। जिनके घर पूरी तरह से डूब चुके हैं, लाखों का नुकसान हुआ। कोई मंदिरों, धर्मशालाओं में शरण लिए हुए है तो कोई अपने परीचितों, रिश्तेदारों के घर। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि ये फर्जी लोग वास्तव में मानवता के दुश्मन हैं। इंसानियत को जैसे इन लोगों ने ताक पर रख डाला है और शर्म-हया सब बेच खाई है।

फर्जी मुआवजा लेने वालों को आरटीआई लगाकर करेंगे बेनकाब : सोमनाथ संभरवाल 

ग्रामीण सोमनाथ संभरवाल के मुताबिक वे बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेंगे। गाँव में काफी लोगों ने फर्जी आवेदन किए हैं जिनके घरों में मामूली दरारें हैं और वे भी पता नहीं कितनी पुरानी। अब सभी बहती गंगा में हाथ धोने की फिराक में हैं। लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गांवों में बाढ़ से नुकसान का सर्वे बिल्कुल इमानदारी से किया जाए ताकि कोई गलत व्यक्ति मुआवजा न ले जाए। जोहड़ों के आस-पास जिन लोगों का वास्तव में नुकसान हुआ है, वे ऐसी हालत मेंं नहीं हैं कि दोबारा से अपने मकान बना सकें। इसलिए जिला प्रशासन पूरी इमानदारी से सर्वे करवाए और सिर्फ पानी में डूबे लोगोें को ही मुआवजा मिलना चाहिए। जो लोग गाँव के मध्य में रह रहे हैं जिनका नुकसान ही नहीं हुआ है, ऐसे लोग भी मुआवजे के लिए आवेदन कर रहे हैं तो सवाल तो खड़े होंगे ही। यह सरासर गरीबों का हक लूटने वाली मानसिकता है ताकि असल पीड़ितों को कुछ न मिले और सारा मुआवजा वे ले जाएं। यदि प्रशासन ने जरा सी भी गड़बड़ी की तो वे आरटीआई के माध्यम से इसकी जांच करवांगे और यदि कोई फर्जी तरीके से मुआवजा हड़पते हुए पाया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाएंगे। 

नेताओं के साथ-साथ एसडीएम पर भी भड़के बाढ़ पीड़ित, बोले किसी को हमारी सुध नहीं 

बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों में हल्के के विधायक रामकुमार गौतम के साथ-साथ पूर्व विधयकों, सांसदों व इलाके के तमाम मौजूदा नेताओं, समाजसेवियों के प्रति भी गुस्सा है। उनका कहना है कि वोटों के समय तो ये लोग दौड़े चले आते हैं तथा उनके पांवों में गिरते फिरते  हैं लेकिन आज जब वे मुश्किल हालात में हैं, उनके घर डूब चुके हैं, बर्बाद हो चुके हैं तो भी नेता उनकी सुध लेने नहीं आए। लोहारी राघो के ग्रामीणों ने एसडीएम विकास यादव पर भी आरोप लगाए हैं कि वे भी उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे। वे आते हैं तथा गाँव में एक ही व्यक्ति के घर बैठ कर चाय पीकर चले जाते हैं। 

किसी भी गलत व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा मुआवजा : ग्राम सचिव  

मामले को लेकर जब लोहारी राघो ग्राम सचिव राजपाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनके पास भी मौखिक शिकायत आई है। गाँव के बस स्टेंड पर भी कई लोगों ने उन्हें इस बाबत जानकारी दी है कि फर्जी लोगों ने बाढ़ का मुआवजा लेने के लिए आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि फाइनल सर्वे के समय ग्रामीणों के इन आरोपों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। किसी भी गलत व्यक्ति को मुआवजा नहीं दिलवाया जाएगा। जो लोग वास्तव में बाढ़ से डूबे हैं, जिनके घरों, खेतों में नुकसान हुआ है, उन्हें ही मुआवजा दिया जाएगा।                                       

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