चुनावी मुद्दा बनता ऐडेड कॉलेज के समायोजन का मामला
राजेश वर्मा। विलेज ईरा,
हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार वोटर्स को लुभाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं । वहीं चुनावी आहट के चलते सरकारी कर्मचारी भी पिछले कुछ समय से लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। सरकारी तबके को भी इस बात का खास इल्म है कि चुनाव से पहले वह सरकार पर अपनी मांग मनवाने का अच्छा खासा दबाव बना सकते हैं । इसी कड़ी में प्रदेश के एडेड कॉलेज में तैनात टीचर्स और गैर शिक्षक संघ के कर्मचारियों की कुछ मांगे लंबे समय से लंबित हैं। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर सुदीप कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि वे सरकार से ये उम्मीद रखते हैं कि पिछले करीब 4 साल से लंबित उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाए। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन पिछले कई वर्षों से टेकओवर के लिए संघर्षरत है और सरकारी महाविद्यालय में समायोजित होने हेतु प्रयासरत है। डॉ सुदीप ने बताया कि उन्हें सातवें वेतनमान के अनुसार संशोधित HRA, एक्स ग्रेशिया, एनपीएस स्टाफ की ग्रेच्युटी, मेडिकल सहित अनेक लाभ इन्हे नहीं मिलते हैं। कई अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने भी एडेड कॉलेजों के स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन किया है । हरियाणा में भी एडेड स्कूलों के स्टाफ को भी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया गया है । ठीक इन्हीं नीतियों को अनुसरण करते हुए एडेड कॉलेजों के स्टाफ का समायोजन भी सरकारी कॉलेज में किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा ऐसा करने से सरकारी खजाने को वित्तीय लाभ पहुंचेगा और सरकारी महाविद्यालय में स्टाफ की कमी भी पूरी होगी ।
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