हरियाणा के गाँवों में अब जाति व संप्रदाय के नाम पर नहीं होगा धर्मशालाओं का नाम , पूर्व में जातियों के नाम पर रखी धर्मशालाएं भी कहलाएंगी डा. भीमराव अंबेडकर भवन
- डा. भीमराव अंबेडकर भवन के नाम से जानी जाएंगी सभी धर्मशालाएं
- गाँवों में पाटीर्बाजी और जातीगत भेदभाव व तनाव खत्म करने की दिशा में हरियाणा सरकार की सराहनीय पहल
- पूरे प्रदेश में लागू होने जा रही है यह व्यवस्था
संदीप कम्बोज। विलेज ईरा
चंडीगढ़/सिरसा। हरियाणा के गाँवों में जातिवाद की डुगडुगी बजाने वालों के मुंह पर प्रदेश सरकार ने करारा तमाचा आन जड़ा है। (Dharamshalas-will-not-be-named-after-caste-and-community-in-the-villages-of-Haryana) प्रदेश के गाँवों में जातियों व संप्रदाय के नाम पर अलग-अलग धर्मशालाएं व चौपालें बनवाकर राजनीति करने वालों की दुकान अब बंद होने जा रही है। गांवों में मौजूद किसी भी धर्मशाला व चौपाल पर अब किसी जाति विशेष के नाम का ठप्पा नहीं रहेगा। भविष्य में अब सभी धर्मशालाएं व चौपालें डा. भीमराव अंबेडकर भवन के नाम से जानी जाएंगी। गाँवों में मौजूद जिन धर्मशालाओं का नाम पहले जातिगत आधार पर दिया गया है, उनका नाम भी अब बदलकर डा. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा जाएगा। हरियाणा सरकार के इस अहम फैसले से जहाँ गांवों में जातिय तनाव खत्म होगा। वहीं किसी भी जाति के लोगों को यह नहीं लगेगा कि उनकी जाति के नाम पर कोई धर्मशाला या चौपाल नहीं है। क्योंकि लंबे समय से प्रदेश के गाँवों में देखने में आ रहा था कि गाँवों के कुछ प्रभावशाली लोग अपनी राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाते हुए अपनी-अपनी जाति विशेष के नाम पर धर्मशालाओं का निर्माण करवा लेते थे। इन धर्मशालाओं के लिए जो ट्रस्ट आदि बनाए जा रहे थे, उनमें पदाधिाकारियों के तौर पर भी उसी जाति विशेष के लोगों को प्रमुखता दी जाती थी जिस जाति के नाम पर उस धर्मशाला का नाम होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। गाँवों में जातिगत भेदभाव पैदा करने वाली इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बहुत ही बढ़िया रास्ता अपनाया है। अब हरियाणा के गाँवों में कोई भी धर्मशाला व चौपालें किसी एक जाति अथवा संप्रदाय के नाम पर नहीं होगी। ऐसी चौपालों को भविष्य में डा. भीमराव अंबेडकर भवन के नाम से जाना जाएगा। पूर्व में जिन चौपालों के नाम जातियों के नामों पर रखे हैं, उनके नाम में भी बदलाव होगा।
प्रदेशभर से आ रही थी झगड़ों की शिकायतें, इसलिए उठाया कदम : दुष्यंत चौटाला
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों से काफी लोगों ने इस बात की शिकायत की है कि चौपालों के नाम किसी जाति विशेष, व्यक्ति विशेष अथवा संप्रदाय के नाम पर रखे जा रहे हैं। ऐसा करने से गांवों में तनाव बढ़ रहा है। आपसी झगड़े हो रहे हैं और भाईचारे पर विपरीत असर पड़ रहा है, इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी चौपालों का नाम डा. भीमराव अंबेडकर भवन के रूप में होगा।
पुरानी धर्मशालाओं का नाम बदलना है तो करना होगा यह काम
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि यदि कोई ग्राम पंचायत अपने गाँव में मौजूद पूर्व में जाति के नाम पर बनी धर्मशालाओं का नाम बदलना चाहती है तो नवनिर्वाचित पंचायतों को इस बारे में प्रस्ताव बनाकर देना होगा। ग्राम पंचायत द्वारा पुरानी चौपालों का नाम बदलने का प्रस्ताव भी सरकार को भेजना होगा। सरकार के इस फैसले से यदि राज्य में भाईचारा बढ़ता है और जातीय तनाव खत्म होते हैं तो यह अच्छी बात है।
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