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यमुनानगर : नगर निगम का विकास देखना है तो चले आईए शिवपुरी-बी, यहां की गलियों में पिछले 75 साल से नहीं लगी एक भी ईंट

  •  75 साल से बिल्कुल कच्ची हैं  शिवपुरी-बी स्थित गली नंबर-9 थाने वाली गली व गली नंबर 10 
  • अपने खर्च से मिट्टी डलवाकर आवागमन का इंतजाम कर रहे कालोनीवासी 
  • बरसात में तालाब बन जाती हैं सड़कें, आवागमन में होती है परेशानी 
  • लोगों का आरोप चहेतों व रसुखदारों की सुनते हैं  नेता व नगर निगम अधिकारी 
  • बोले गलियों के निर्माण में सरेआम किया जा रहा भेदभाव
  • गली नंबर-11 में रसूखदारों ने आधी गली का करवा लिया निर्माण 
  • 10 साल से पहले अप्रुव्ड हो चुकी है शिवपुरी-बी लेकिन आज तक नहीं बन पाई सड़कें 
  • कई गलियों को उखाड़ कर दोबारा से किया गया निर्माण और कई गलियों में आज तक नहीं लगी एक भी ईंट



संदीप कम्बोज

यमुनानगर। पूरा भारतवर्ष 75वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। आजादी के 75 साल बाद भी नगर निगम यमुनानगर में कई सड़कें कच्ची हैं। यमुनानगर शहर में कई सड़कें ऐसी हैं जहां पिछले 75 साल में आज तक एक  ईंट भी नहीं लगी। ईंट तो छोड़िए नगर निगम या किसी जनप्रतिनिधि या प्रशासन ने गलियों में कभी एक तसला मिट्टी तक नहीं डलवाई। इन गलियों में रहने वाले बाशिंदें खुद पैसे इक्ट्ठे कर अपने खर्चे पर मिट्टी डलवाते आ रहे हैं ताकि आवागमन में कोई परेशानी न हो। हम बात कर रहे हैं 30 साल पहले आबाद हुई वार्ड नंबर 21 अंतर्गत शिवपुरी-बी की गली नंबर 9 (थाने वाली गली) व गली नंबर 10 की। गली नंबर 11 का निर्माण आधा किया गया है जिसे इलाके के लोग नगर निगम की भेदभाव वाली पॉलिसी बता रहे हैं। स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर विधायक से लेकर मेयर व इलाके के पार्षद के पास सैकड़ों चक्कर काट चुके हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अब स्थानीय लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। आरोप है कि नगर निगम सरासर उनके साथ भेदभाव कर रहा है। जान-बूझकर उनकी गलियां नहीं बनाई जा रही हैं। क्योंकि जो कालोनियां शिवपुरी-बी के बाद अप्रुव्ड हुई हैं जैसे कि बुटर विहार वहां पर भी नगर निगम द्वारा सारी सड़कें बना दी गई हैं। शिवपुरी-बी को वैध हुए 10 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है फिर भी यहां के लोग नारकिय जीवन जीने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है नगर निगम में सिर्फ एक ही काम चलता है जिसकी लाठी, उसकी भैंस। क्योंकि वे जब भी इन सड़कों की समस्या लेकर उनके पास जाते हैं तो नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी हों या पार्षद वे सभी बार-बार एक ही रटा रटाया जवाब दे देते हैं कि स्टेप वाईज काम चल रहा है। जब आपकी गली का नंबर आएगा तब बनेगी। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का यही जवाब ही सवालिया निशान खड़े कर रहा है क्योंकि यदि स्टेप दर स्टेप अगर काम चल रहा है तो सबसे पहले गली नंबर-एक से शुरुआत होकर अंतिम में 11 नंबर का निर्माण होना चाहिए था। आरोप है कि नेताओं के नजदीकियों व नगर निगम में रुतबा रखने वालों की गलियों को पहले बनाया गया। जैसे कि गली नंबर-8 सालों पहले बनाई जा चुकी है जबकि गली नंबर पांच, छह व सात का निर्माण हाल ही में करीब चार माह पहले हुआ है। इनमें गली नंबर 5 और 6 नंबर गलियां तो ऐसी हैं जिनका अब दूसरी बार निर्माण कर दिया गया है जबकि आगे की गलियों गली नंबर-9, 10 व 11 को छोड़ दिया गया जिनमें आजादी के बाद से आज तक एक र्इंट भी नहीं लगी। गली नंबर-11 में आपको  भेदभाव का नमूना सरेआम देखने को मिलेगा। नगर निगम द्वारा गली नंबर-11 को आधा बनाकर छोड़ दिया गया है और इस आधी गली का निर्माण भी सालों पहले कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि जहां तक यह गली बनाई गई है वहीं पर नगर निगम के किसी कर्मचारी का घर है। मतलब साफ है कि कर्मचारी ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अपने घर तक गली का निर्माण करवा लिया। बाकि गली आज भी निर्माण की बाट जोह रही है। यदि नगर निगम की बात मान भी ली जाए कि स्टेप दर स्टेप गलियों का निर्माण किया जा रहा है तो सवाल उठता है कि गली नंबर-11 पहले कैसे बन गई? नियम के मुताबिक तो पहले गली नंबर-9 व गली नंबर-10 का ही निर्माण होना चाहिए था। जनप्रातिनिधियों की यही झूठी बयानबाजी से ही यहां के बाशिंदें काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि चुनाव के समय यही सफेदपोश मिट्ठी-मिट्ठी, चिकनी-चुपड़ी बातें कर वोट ले लेते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद ये सीधे मुंह बात तक नहीं करते। गली नंबर-9 निवासी जरनैल सिंह, प्रेम चंद, संदीप कुमार, व गली नंबर-10 निवासी राकेश कुमार का कहना है कि वे इन गलियों के निर्माण के लिए पिछले पांच साल से क्षेत्र के पार्षद व नगर निगम अधिकारियों के पास चक्कर काट रहे हैं लेकिन हर बार उन्हें नया लोलीपोप थमा दिया जाता है। सचिन, कमल, आशु, सोनी व ज्ञान चंद का कहना है कि यदि चुनाव से पूर्व हमारी सड़कें नहीं बनाई गई तो इन्हें आगामी चुनावों में करारा सबक सिखाया जाएगा। इनके द्वारा किए जा रहे भेदभाव को पूरे शहर के लोगों को बताया जाएगा कि किस तरह से नगर निगम और नेता विकास कार्यों में भेदभाव करते हैं।  

बरसात के दिनों में एक दिन यहां रहकर दिखाएं अधिकारी या जनप्रतिनिधि

सोनी, आशु व कमल का का कहना है कि जनप्रतिनिधि व नगर निगम के अफसर बरसात के दिनों में एक दिन भी यहां रहकर दिखा दें तो मान जाएं। मामूली सी बरसात में गलियां तालाग की तरह बहने लगती हैं। सड़क न बनने की वजह से पानी निकासी नहीं है जिसके चलते महीनों तक बरसाती पानी खड़ा रहने से मच्छरों की भरमार हो जाती है। उन्होंने कहा कि आश्वासन बहुत हो चुके अब या तो इन सड़कों का निर्माण करवा दें या फिर आगामी चुनावों में परिणाम भुगतने को तैयार रहें। उनका कहना है कि आगामी चुनावों में इन गलियों के सभी वोटर एकमत होकर ही वाट डालेंगे। चुनाव से पहले जो नेता इन सड़कों का निर्माण करवा देगा, उसे ही वोट दिए जाएंगे, बाकियों का बहिष्कार किया जाएगा। 

चुनावों में सबक सिखाने को तैयारी 

जरनैल सिंह, प्रेम चंद  व ज्ञान चंद के मुताबिक इस मुद्दे को जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों तक कई बार उठाया है और उन्हें सड़क बनवाने के लिए गुहार भी लगाई है। लेकिन हर बार उन्हें झूठा आश्वासन दे दिया जाता है। उन्हें लगता है कि नेता सिर्फ वोट लेने आते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं। इसलिए, वे आगामी नगर निगम, लोकसभा चुनाव और  विधानसभा चुनावों में उन्हें करारा सबे सिखाएंगेक्योंकि किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी कालोनी की ओर मुड़कर समस्याओं को समझा नहीं है। 

क्या कहते हैं पार्षद

विकास कार्यों मेंं कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। यह लोगों के झूठे आरोप हैं। शिवपुरी-बी की गलियों का स्टेप दर स्टेप निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल गली नंबर-8 में काम चल रहा है। जैसे ही अगली गलियों का नंबर आएगा, उनका भी निर्माण करवा दिया जाएगा। 

                                                             -अभिषेक शर्मा, पार्षद, वार्ड नंबर 21, नगर निगम यमुनानगर 



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